दिगम्बर जैन मतानुसार शासन देव- देवी
(१) भगवान आदिनाथ के शासन देव-गोमुख यक्ष एवं चक्रेश्वरी देवी
१. गौमुख यक्ष का स्वरूप -
सव्वेतरोध्र्वकरदीप्रपरश्वधाक्ष- सूत्रं
तथाऽधरकराज्र्फलेहष्टदानम्।
प्राग्गोमुखं
वृषमुखं वृषगं बृषाड्क-भत्तंकं यजे कनकभं वृषचक्शीर्षम् ।।१।।
वृषभ के चिन्हवाले श्री आदिनाथ जिन के
अधिष्ठायिक देव ‘गोमुख’ नामका यक्ष है वह सुवर्ण के जैसी कांतिवाला, गौके मुख सद्टश मुखवाला, बैलकी सवारी
करने वाला,
मस्तक पर धर्मचक्र को धारण करने वाला और चार
भुजावाला है। ऊपर के दाहिने हाथ में फरसा और नीचे के हाथ में माला, बांये हाथ में बीजोरे का फल और वरदान धारण
करने वाला है ।।१।।
१. चक्रेश्वरी (अप्रतिहतचका) देवी का स्वरूप -
भर्माभाद्यकरद्वयालकुलिशा
चक्राज्र्हस्ताष्टका,
सव्यासव्यशयोल्लसत्फलवरा
यन्मूर्तिरास्तेऽम्बुजे।
ताक्ष्र्ये वा सह चक्रयुग्मरुचकत्यागैश्चतुर्भि: करै:,
पञ्चेष्वास शतोन्नतप्रभुनतां चक्रेश्वरी तां यजे ।।१।।
ताक्ष्र्ये वा सह चक्रयुग्मरुचकत्यागैश्चतुर्भि: करै:,
पञ्चेष्वास शतोन्नतप्रभुनतां चक्रेश्वरी तां यजे ।।१।।
पांचसौ धनुष के शरीर वाले श्री आदिनाथ
जिनेश्वर की शासन देवी ‘चकेश्वरी’ नाम की देवी है। वह सुवर्ण के जैसी वर्ण वाली, कमल के ऊपर बैठी हुई,
गरुड की सवारी करने वाली और बारह भुजावाली
है। दो तरफ के दो हाथ में वङ्का, दो तरफ के चार २
हाथों में आठ चक्र,
नीचे के बाँये हाथ में फल और दाहिने हाथ में
वरदान धारण करने वाली है। प्रकारान्तर से चार भुजा वाली भी मानी है, ऊपर दोनों हाथों में चक्र, नीचे के बाँये हाथ में बीजोरा और दाहिने हाथ
में वरदान को धारण करने वाली है ।।१।।
(२) भगवान अजितनाथ के शासन देव- देवी - महायक्ष- यक्ष अजिता(रोहिणी)देवी
२. महायक्ष का स्परूप -
चक्रत्रिशुलकमलाड.कुशवामहस्तो
निस्ंित्रशदण्डपरशूद्यवराण्यपाणि: ।त्रशदण्डपरशूद्यवराण्यपाणि: ।
चामीकरद्युतिरिभाज्र्नतो
महादि-यक्षोऽच्र्यतो (हि) जगतश्चतुराननोऽसौ ।।२।।
हाथी के चिन्हवाले श्री अजितनाथ जिनेश्वर का
शासनदेव ‘महायक्ष’ नाम का यक्ष है। वह सुवर्ण के जैसी कान्ति वाला, हाथी की सवारी करने वाला, चार मुख वाला और
आठ भुजा वाला है। बाँये चार हाथों में चक्र, त्रिशुल,
कमल और अंकुश को तथा दाहिने चार हाथों में
तलवार,
दण्ड, फरसा और वरदान को धारण करने वाला है ।।२।।
२. अजिता (रोहिणी) देवी का स्वरूप -
स्वर्णद्युततिशङ्खरथाङ्गशस्त्रा
लोहासनस्थाभयदानहस्ता ।
देवं धनु; साद्र्धचतुश्शतोच्चं वन्दारूवीष्टामिह
रोहिणीष्ट: ।।२।।
साढ़े चार सौ धनुष के शरीर वाले अजितनाथ
जिनेश्वर की शासन देवी ‘रोहिणी’ नाम की देवी है। वह सुवर्ण के जैसी कान्तिवाली, लोहासन पर बैठने वाली और चार भुजा वाली है। तथा उसके हाथ शंख, अभय, चक्र और वरदान युक्त हैं ।।२।।
(3) त्रिमुख यक्ष-प्रज्ञाति (नम्ना) देवी
३. त्रिमुख यक्ष का स्वरूप -
चक्रासिसृण्युपगसव्यसयोऽन्यहस्तै-र्दण्डत्रिशुलमुपयन्
शितकर्तिकां च,
वाजिध्वजप्रभुनत:
शिखिगोऽञ्जनाभ-स्त्र्यक्ष:प्रतीक्षतु बलिं त्रिमुखाख्ययक्ष: ।।३।।
घोड़े के चिन्ह वाले श्री संभवनाथ के शासन
देव ‘त्रिमुख’ नामका यक्ष है,
वह कृष्ण वर्णवाला, मोर की सवारी करने वाला, तीन २ नेत्र युक्त तीन मुखवाला और छह
भुजावाला है। बाँये हाथों में चक्र, तलवार और अंकुश को तथा दाहिने हाथों में दंड, त्रिशूल और तीक्ष्ण कतरनी को धारण करने वाला है।
३. प्रज्ञप्ति (नम्रा) देवा का स्वरूप -
पक्षिस्थाद्र्धेन्दुपरशु-फलासीढीवरै: सिता
।
चतुश्चापशतोच्चार्हद्-भक्ता
प्रज्ञप्तिरिज्यते ।।३।।
चार सौ धनुष के शरीर वाले श्री संभवनाथ की
शासनदेवी ‘प्रज्ञप्ति’ नामकी देवी है। वह सफेद वर्णवाली, पक्षी की सवारी करने वाली और छह हाथवाली है। हाथों में अद्र्धचंद्रमा, फरसा, फल,
तलवार, इष्टी (तुम्बी ?)
और वरदान को धारण करने वाली है ।।३।।
(४) यक्षेश्वर यक्ष-वज श्रृंखला(दुरितारी) देवी
४. यक्षेश्वर यक्ष का स्वरूप -
प्रेङ्खद्धनु:खेटकवामपाणिं, सकज्र्पत्रास्यपसव्यहस्तम् ।
श्यामं
करिस्थं कपिकेतुभत्तंकं, यक्षेश्वरं
यक्षमिहार्चयामि ।।४।।
वानर के चिन्ह वाले श्री अभिनन्दन जिन के
शासन देव ‘यक्षेश्वर’ नामका यक्ष है,
वह कृष्णवर्ण वाला, हाथी की सवारी करने वाला और चार भुजा वाला
है। बाँये हाथों में धनुष और ढाल को तथा दाहिने हाथों में बाण और तलवार को धारण
करने वाला है।
४. बङ्काश्रृंखला (दूरितारी) देवी का स्वरूप -
सनागपाशोरूफलासूत्रा हंसाधिरूढा
वरदानुभुक्ता ।
हेमप्रभाद्र्धत्रिधनु:शतोच्च-तीर्थेशनम्रा
पविशृङ्खलार्चा ।।४।।
साढ़े तीन सौ धनुष के शरीर वाले श्री
अभिनन्दन जिन की शासनदेवी ‘वङ्काशृंखला’ नाम की देवी है,
सुवर्ण के जैसी कान्तिवाली, हंसकी सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है।
हाथों में नागपाश,
बीजोराफल, माला और वरदान को धारण करने वाली है ।।४।।
(५)तुम्बर यक्ष-खडवरा (पुरुषदत्ता) देवी
५. तुम्बरु यक्ष का स्वरूप -
सर्पोपवीतं द्विकपन्नगोध्र्व-करं
स्फूरद्दानफलान्यहत्म् ।
कोकाज्र्नम्रं
गरुडाधिरूढ़ श्रीतुम्बरं श्यामरुचिं यजामि ।।५।।
चकवे के चिन्ह वाले श्री सुमतिनाथ के शासन
देव ‘तुंबरु’ नाम का यक्ष है। वह कृष्ण वर्णवाला, गरुड की सवारी करने वाला, सर्पका
यज्ञोपवीत (जनेऊ) को धारण करने वाला, और चार भुजा वाला है। इसके ऊपर के दोनों हाथों में सर्प को, नीचे के दाहिने हाथ में वरदान और बाँये हाथ
में फल को धारण करने वाला है ।।५।।
५. पुरुषदत्ता (खड्गवरा) देवी का स्वरूप -
गजेन्द्रगा वङ्काफलोद्यचक्र-वराङ्गहस्ता
कनकोज्ज्वलाङ्गी ।
गृहृानुदण्डत्रिशतोन्नतार्हन्
नतार्चनां खङ्गवराच्र्यते त्वम् ।।५।।
तीन सौ धनुष शरीर के प्रमाण वाले श्री
सुमतिनाथ की शासन देवी ‘खङ्गवरा’ (पुरुषदत्ता) नाम की देवी है। वह सुवर्ण के वर्ण वाली, हाथी की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली
है। हाथों में वङ्का,
फल, चक्र और वरदान धारण करने वाली है ।।५।।
(६)पुष्पयक्ष-मनोवेना(मोहिनी ) देवी
६. पुष्प यक्ष का स्वरूप -
मृगारुहं कुन्तवरापसव्य-करं
सखेटाऽभयसव्यहस्तम् ।
श्यामाङ्गमब्जध्वजदेवसेव्यं
पुष्पाख्ययक्षं परितर्पयामि ।।६।।
कमल के चिन्ह वाले श्री पद्मप्रभ जिन के शासन
देव ‘पुष्प’ नामका यक्ष है। वह कृष्ण वणर्वाला, हीरण की सवारी करने वाला और चार भुजा वाला है। दाहिने हाथों में भाला और वरदान
को,
तथा बाँये हाथों में ढाल और अभय को धारण करने
वाला है ।।६।।
६. मनोवेगा (मोहिनी) देवी का स्वरूप -
तुरङ्गवाहना देवी मनोवेगा चतुर्भुजा ।
वरदा
काञ्चनछाया सोल्लासिफलकायुधा ।।६।।
प्रद्मप्रभ जिनकी शासन देवी ‘मनेवेगा’ (मोहिनी) नाम की देवी है। वह सुवर्ण वर्णवाली, घोड़े की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में वरदान, तलवार, ढाल और फल को धारण करने वाली है।
(७)मातंगयक्ष-काली(मानवी) देवी
७. मातंग यक्ष का स्वरूप -
सिंहाधिरोहस्य सदण्डशूल-सव्यान्पाणे: कुटिलाननस्य
।
कृष्णत्विष:
स्वस्तिककेतुभत्ते-र्मातङ्गयक्षस्य करोमि पूजाम् ।।७।।
स्वास्तिक के चिन्ह वाले श्री सुपार्श्वनाथ
के शासन देव ‘मातंग’ नाम का यक्ष है वह कृष्ण वर्ण वाला, सिंह की सवारी करने वाला, कुटिल (टेढा)
मुखवाला,
दाहिने हाथ में त्रिशुल और बाँये हाथ में दंड
को धारण करने वाला है।
७. काली (मानवी) देवी का स्वरूप -
सितां गोवृषगां घण्टां फलशूलवरावृताम् ।
यजे कालीं
द्विको दण्ड-शतोच्छायजिनाश्रयाम् ।।७।।
दो सौ धनुष के शरीर वाले श्री सुपार्श्वनाथ
की शासन देवी ‘काली’ (मानवी) नाम की देवी है। वह सफेद वर्णवाली, बैल की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में घंटा, फल, त्रिशूल और वरदान को धारण करने वाली है ।।७।।
(८) श्यामयक्ष-ज्वालामालिनी देवी
८. श्याम यक्ष का स्वरूप -
यजे
स्वधित्युद्यफलाक्षमाला-वराज्र्वामान्यकरं त्रिनेत्रम् ।
कपोतपत्रं प्रभयाख्याय
च, श्यामं
कृतेन्दुध्वजदेवसेवम् ।।८।।
चंदमा के चिन्ह वाले श्री चंद्रप्रभ जिन के
शासन देव ‘श्याम’ नाम का यक्ष है। वह कृष्ण वर्णवाला, कपोत (कबूतर) की सवारी करने वाला, तीन नेत्र वाला और चार भुजा वाला है। बाँये हाथों में फरसा और फल को तथा
दाहिने हाथों में माला और वरदान को धारण करने वाला है ।।८।।
८. ज्वालिनी (ज्वालामालिनी) देवी का स्वरूप -
चन्द्रोज्ज्वलां
चकशरासपाश-चर्मत्रिशूलेषुभषासिहस्ताम् ।
श्री
ज्वालिनीं साद्र्धधनु:शतोच्च-जिनानतां कोणगतां यजामि ।।८।।
डेढ. सौ धनुष के शरीर वाले श्री चंदप्रभजिन की
शासन देवी ‘ज्वालिनी’(ज्वालामालिनी) नाम की देवी है। वह सफेद वर्णवाली, महिष (भेंसा) की सवारी करने वाली और आठ भुजा
वाली है। हाथों में चक्र,
धनुष, नागपाश,
ढाल, त्रिशूल,
बाण, मच्छली और तलवार को धारण करने वाली है ।।८।।
(९) अजितयक्ष -महाकाली (चकुरी) देवी
९. अजित यक्ष का स्वरूप -
सहाक्षमालावरदानशक्ति-फलापसव्यापरपारिणयुग्म:
।
स्वारूढकूर्मो
मकराज्र्भक्तो गृहृातु पूजामजित: सिताभ: ।।९।।
मगर के चिन्ह वाले श्री सुविधिनाथ के शासनदेव
’अजित’ नाम का यक्ष है। वह श्वेत वर्ण वाला, कछुआ की सवारी करने वाला और और चार हाथ वाला है। दाहिने हाथों में अक्षमाला और
वरदान को तथा बाँये हाथों में शक्ति और फल को धारण करने वाला है ।।९।।
९. महाकाली (भृकुटी) देवी का स्वरूप -
कृष्णा कूर्मासना धन्व-शतोन्नतजिनानता ।
महाकालीज्यते
वङ्का- फलमुद्ररदानयुक् ।।९।।
एक सौ धनुष शरीर वाले श्री सुविधिनाथ जिन की
शासनदेवी ‘महाकाली’ (भृकुटी) नामकी देवी है। वह कृष्ण वर्णवाली, कछुआ की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। इस के हाथ वङ्का, फल, मुद्रर और वरदान युक्त हैं ।।९।।
(१०) ब्रहायक्ष-मानवी (चामुंडा) देवी
१०. ब्रह्म यक्ष का स्वरूप -
श्रीवृक्षकेतननतो धनुदण्डखेट-वङ्कााढयसव्वसय
इन्दुसितोऽम्बुजस्थ: ।
ब्रह्मा
शरस्वधितिखड्गवरप्रदान-व्यग्रान्यपाणिरुपयातु चतुर्मुखोऽर्चाम् ।।१०।।
श्री वृक्ष के चिन्ह वाले श्री शीतलनाथ के
शासन देव ‘ब्रह्मा’ नाम का यक्ष है। वह श्वेतवर्ण वाला, कमल के आसन पर बैठने वाला, चार मुख वाला और
आठ हाथवाला है। बाँये हाथों में धनुष, दंड,
ढाल और वङ्का को तथा दाहिने हाथों में बाण, फरसा, तलवार और वरदान को धारण करने वाला है ।।१०।।
१०. मानवी (चामुंडा) देवी का स्वरूप -
भषदामरुचकदानोचितहस्तां कृष्णकालगां
हरिताम् ।
नवतिधनुस्त्रुग्जिनप्रणातामिह
मानवीं प्रयजे ।।१०।।
नवें धनुष के शरीर वाले श्री शीतलनाथ की शासन
देवी ‘मानवी’ (चामुंडा) देवी है। वह हरे वर्णवाली, काले सूअर की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। यह हाथों में मछली, माला, बोजोर फल और वरदान को धारण करने वाली है ।।१०।।
(११) ईश्वरयक्ष-गोरी (गोमेधकी) देवी
११. ईश्वर यक्ष का स्वरूप -
त्रिशुलदण्डान्वितवामहस्त; करेऽक्षसूत्रं त्वपरे फलं च ।
बिभ्रत् सितो
गण्डककेतुभक्तो लात्वीश्वरोऽर्चां वृषगस्त्रिनेत्र: ।।११।।
गेंडा के चिन्ह वाले श्री श्रेयांसनाथ के
शासन देव ‘ईश्वर’ नाम का यक्ष है। वह सफेद वर्ण वाला, बैल की सवारी करने वाला, तीन नेत्र वाला
और चार भुजा वाला है। बाँये हाथों में त्रिशूल और दण्ड़ को तथा दाहिने हथों में
माला और फल को धारण करने वाला है ।।११।।
११. गौरी (गौमेधकी) देवी का स्वरूप -
समुद्गराब्जकलशां वरदां कनकप्रभाम् ।
गौंरी
यजेऽशीतिधनु: प्राशु देवीं मृगोपगाम् ।।११।।
अस्सी धनुष के शरीर वालो श्रेयांसनाथ की शासन
देवी ‘गौरी’ (गौमधकी) नाम की देवी है। वह सुवर्ण वणर््वाली, हरिण की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। भुजाओं में मुद्गर, कमल, कलश और वरदान को धारण करने वाली है ।।११।।
(१२) कुमारयक्ष-गांधारी (विधुन्मालिनी) देवी
१२. कुमार यक्ष का स्वरुप -
शुभ्रो
धनुर्बभ्रुफलाढयसव्य-हस्तोऽन्यहस्तेषुगदेष्टदान: ।
लुलायलक्ष्मप्रणततस्त्रिवक्त्र:
प्रमोदतां हंसचर: कुमार: ।।१२।।
भैंसे के चिन्ह वाले श्री वासुपूज्यजिन के
शासनदेव ‘कुमार’ नाम का यक्ष है। वह श्वेत वर्ण वाला, हंस की सवारी करने वाला, तीन मुख वाला और
छह भुजा वाला है। बाँये हाथों में धनुष, नकुल (न्यौला) और फल को तथा दाहिने हाथों में बाण, गदा और वरदान को धारण करने वाला है ।।१२।।
१२. गांधारी (विद्युन्मालिनी) देवी का स्वरूप -
सपद्ममुसलाम्भोजदाना मकरगा हरित् ।
गांधारी
सप्ततीष्वास तुङ्गप्रभुनताच्र्यते ।।१२।।
सत्तर धनुष प्रमाण के शरीर वाले श्री
वासुपूज्य स्वामी की शासन देवी ‘गांधारी’ (विद्युन्मालिनी) नाम की देवी है।वह हरे वर्ण
वाली,
मगर की सवारी करने वाली, और चार भुजा वाली है। उसके ऊपर के दोनों हाथ
कमल युक्त है तथा नीचे का दाहिने हाथ वरदान और बांया हाथ मूसल युक्त है।
(१३) चतुमुख यक्ष-वैरोटी देवी
१३. चतुमुर्ख यक्ष का स्वरूप -
यक्षो हरित् सपरशूपरिमाष्टपाणि:, कौक्षेयकाक्षमणिखेटकदण्डमुद्रा: ।
विभ्रच्चतुभिंरपरै:, शिखिग: किराज्र्- नम्र: प्रतृप्यतु यथार्थचतुर्मुखाख्य:
।।१३।।
सुअर के चिन्ह वाले श्री विमलनाथ के शासनदेव ‘चतुर्मुख’ नाम का यक्ष है। वह हरे वर्णवाला मोर की सवारी करने वाला चार मुख वाला और बारह
भुजा वाला है। ऊपर के आठ हाथों में फरसा को तथा बाकी के चार हाथों में तलवार, माला, ढाल और वरुदान को धारण करने वाला है ।।१३।।
१३. वैरोटी देवी का स्वरूप -
षष्टिदण्डोच्चतीर्थेश-नता गोनसवाहना ।
ससर्पचापसर्पेषु-
वैंरोटी हरिताच्र्चते ।।१३।।
साठ धनुष प्रमाण के शरीर वाले श्री विमलनाथ
की शासन देवी ‘वैरोटी’ नाम की देवी है। वह हरे वर्ण वाली, साँप की सवारी करने वाली, और चार भुजा
वाली है। ऊपर के दोनों हाथों में सर्प को और नीचे के दाहिने हाथ में बाण और बाँये
हाथ में धनुष को धारण करने वाली है ।।१३।।
(१४) पाताल यक्ष-अनन्तमति (विजनिणी) देवी
१४. पाताल यक्ष का स्वरूप -
पातालक: ससृणिशूलकजापसव्य- हस्त: कषाहलफलाज्र्तिसव्यपाणि:
।
सेधाध्वजैकशरणो
मकराधिरूढो, रक्तोऽच्र्यतां
त्रिफणनागशिरास्त्रिवक्त्र: ।।१४।।
सेही के चिन्ह वाले श्री अनन्तनाथ के शासन
देव ‘पाताल’ नाम का यक्ष है। वह लाल वर्ण वाला, मगर की सवारी करने वाला, तीन मुख वाला, मस्तक पर साँप की तीनफण को धारण करने वाला और
छह भुजा वाला है। दाहिने हाथों में अंकुश, त्रिशुल और कमल को तथा बाँये हाथों में चाबुक, हल और फल को धारण करने वाला है ।।१४।।
१४. अनन्तमती (विजृंभिणी) देवी का स्वरूप -
हेमाभा हंसगा चाप- फलबाणवरोद्यता ।
पञ्चाशच्चापतुङ्गार्हद्-
भक्ताऽनन्तमतीज्यते ।।१४।।
पचास धनुष के शरीर वाले श्री अनन्तनाथ की
शासन देवी ‘अनन्तमती’ (विजृंभिणी) नाम की देवी है। वह सुवर्ण वर्ण वाली, हंस की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है।
यह हाथों में धनुष,
बिजोराफल, बाण और वरदान को धारण करने वाली है ।।१४।।
(१५) कित्ररयक्ष-मानसी (परमता) देवी
१५. किन्नर यक्ष का स्वरूप -
सचकवङ्काांकुशवामपाणि:, समुग्दराक्षालिवरान्यहस्त: ।
प्रवालवर्णस्त्रिमुखो
भषस्थो वङ्कााज्र्भक्तोऽञ्चतु किन्नरोऽचर्याम् ।।१५।।
वङ्का के चिन्ह वाले श्री धर्मनाथ के शासन
देव ‘किन्नर’ नाम का यक्ष है। वह प्रवाल (मूंगे) के वर्ण वाला, मछली की सवारी करने वाला, तीन मुख वाला और छह भुजा वाला है। बांये
हाथों में चक्र,
वङ्का और अंकुश को तथा दाहिने हाथों में
मुद्गर,
माला और वरदान धारण करने वाला है ।।१५।।
१५. मानसी (परभृता) देवी का स्वरूप -
साम्बुजधनुदानांकुशशरात्पला व्याघ्रगा
प्रवालनिभा ।
नवपञ्चकचापोच्छितजिननम्रा
मानसीह मान्येत ।।१५।।
पेंतालीस धनुष के शरीर वाले श्री धर्मनाथ की
शासन देवी ‘मानसी’ (परभृता) नाम की देवी है। वह मूँगे के जैसी लाल कांतिवाली, व्याघ्र (नाहर) की सवारी करने वाली और छह
भुजा वाली है। हाथों में कमल, धनुष, वरदान, अंकुश,
बाण और कमल को धारण करने वाली है ।।१५।।
(१६) गरुड़यक्ष-महामानसी (कंदपा) देवी
१६. गरुढ यक्ष का स्वरूप -
वकाननोऽध्स्तनहस्तपद्म-फलोऽन्यहस्तार्पितवङ्काचक:
।
मृगध्वजार्हत्प्रणत:
सपर्या, श्यामा:
किटिस्थो गरुडोऽभ्युपैत ।।१६।।
हरिण के चिन्ह वाले श्री शान्तिनाथ के शासन
देव ‘गरुड’ नाम का यक्ष है। वह टेढा मुखवाला (सूअर के मुख वाला) कृष्ण वर्णवाला, सूअर की सवारी करने वाला और चार भुजा वाला
है। नीचे के दोनों हाथों में कमल और फल को तथा ऊपर के दोनों हाथों में वङ्का और
चक्र को धारण करने वाला है ।।१६।।
१६.महा मानसी (कन्दर्पा) देवी का स्वरूप
चक्रफलेढिवराज्र्तिकरां महामानसीं
सुवर्णभाम् ।
शिखिगां
चत्वारिंशद्धनुरुन्नतजिनमतां प्रयजे ।।१६।।
चालीस धनुष प्रमाण के ऊंचे शरीर वाले श्री
शांतिनाथ की शासन देवी ‘महामानसी’ नाम की देवी है। वह सुवर्ण वर्ण वाली, मयूर की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में चक्र, फल, ईढी (?)
और वरदान को धारण करने वाली है ।।१६।।
(१७) गंघवयक्ष-जया(गांधारी) देवी
१७. गंधर्व यक्ष का स्वरूप -
सनागपाशोध्र्वकरद्वयोऽध:-करद्वयत्तेषुधनु:
सुनील: ।
गन्धर्ववक्ष:
स्भकेतुभक्त: पूजामृपैतु श्रितपक्षियान: ।।१७।।
बकरे के चिन्ह वाले श्री कुंथनाथ के शासन देव
‘गधर्व’ नाम का यक्ष है। वह कृष्ण वर्ण वाला, पक्षी की सवारी करने वाला ओर चार भुजा वाला है। ऊपर के दोनों हाथों में नागपाश
को तथा नीचे के दो हांथों में क्रमश: धनुष और बाण को धारण करने वाला है ।।१७।।
१७. जया (गांधारी) देवी का स्वरूप -
सचक्रशङ्खसिवरां रुक्माभां कृष्णकोलगाम् ।
पञ्चत्रिंशद्धनुस्रुगजिननम्रां
यजे जयाम् ।।१७।।
१७. पेंतीस धनुष के शरीर वाले श्री कुंथुनाथ
की शासन देवी ‘जया’ (गांधारी) नाम की देवी है। वह सुवर्ण के वर्ण वाली, काले सूअर की सवारी करने वाली और चार भुजा
वाली है। हाथों में चक्र,
शंख, तलवार और वरदान को धारण करने वाली है ।।१७।।
(१८) रवेन्द्रयक्ष-तारावती (काली) देवी
१८. खेन्द्रयक्ष का स्वरूप -
आरभ्योपरिमात्करेषु कलयन् वामेषु चापं पिंव,
पाशं
मुन्दरमंकुशं च वरदं षष्ठेन युञ्जन् परै: ।।
बाणाम्भोजफलस्रगच्छपटली-लीलाविलासांस्त्रिट्टक्,
षड्वक्त्रष्टगराज्र्भक्तितरसित: खेन्द्रोऽच्र्यते शङ्खग: ।।१८।।
बाणाम्भोजफलस्रगच्छपटली-लीलाविलासांस्त्रिट्टक्,
षड्वक्त्रष्टगराज्र्भक्तितरसित: खेन्द्रोऽच्र्यते शङ्खग: ।।१८।।
मछली के चिन्ह वाले श्री अरनाथ के शासन देव ‘खेन्द्र’ नाम का यक्ष है। वह कृष्ण वर्ण वाला, शंख की सवारी करने वाला, तीन २ नेत्र
वाला,
ऐसे छहमुखवाला और बारह भुजा वाला है। बांये
हाथों में क्रमश: धनुष,
वङ्का, पाश,
मुग्दर, अंकुश और वरदान को तथा दाहिने हाथों में बाण, कमल,
बीजोराफल, माला,
बडी अक्षमाला और अभय को धारण करने वाला है
।।१८।।
१८. तारावती (काली) देवी का स्वरूप -
स्वर्णाभां हंसगां सर्प-मृगबङ्कावरोद्धुराम्
।
चाये तारावतीं
त्रिंशच्चापोच्चप्रभुभाक्तिकाम् ।१८।।
त्रीश धनुष के शरीर वाले श्री अरनाथ क शासन
देवी ‘तारावती’ (काली) नाम की देवी है। वह सुवर्ण वर्ण वाली, हंस की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में सांप, हरिण, वङ्का और वरदान को धारण करने वाली है ।।१८।।
(१९) कुबेरयक्ष-अपराजिता देवी
१९. कुबेर यक्ष का स्वरूप -
सफलकधनुर्दण्डपद्मखड्गप्रदरसुपाशवरप्रदाष्टपाणिम्
।
गजगमनचतुर्मुखेन्द्रचापद्युतिकलशाज्र्नतं
यजे कुबेरम् ।।१९।।
कलश के चिन्ह वाले श्री मल्लिनाथ के शासन देव
‘कुबेर’ नाम का यक्ष है। वह इंद्र के धनुष के जैसे वर्ण वाला, हाथी की सवारी करने वाला, चार मुख वाला और आठ हाथ वाला है। हाथों में
ढाल,
धनुष, दंड,
कमल, तलवार,
बाण, नागपाश और वरदान को धारण करने वाला है ।।१९।।
१९. अपराजिता देवी का स्वरूप -
पञ्चविंशतिचापोच्चदेवसेवापराजिता ।
शरभस्थाच्र्यंते
खेटफलासिवरयुग् हरित् ।।१९।।
पचीस धनुष के शरीर वाले श्री मल्लिनाथ की
शासन देवी ‘अपराजित’ नाम की देवी है। वह हरे वर्ण वाली, अष्टपद की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में ढाल, फल, तलवार और वरदान को धारण करने वाली है।
(२०) वरुणयक्ष-बहुरुपिणी देवी
२०. वरुण यक्ष का स्वरूप -
जटाकिरीटोऽमुखस्त्रिनेत्रो
वामान्यखेटासिफलेष्टान: ।
कूर्माज्र्नम्रो
वरुणो वृषस्थ: श्वेतो महाकाय उपैतु तृप्तिम् ।।२०।।
कछुआ के चिन्ह वाले श्री मुनिसुव्रतनाथ के
शासन देव ‘वरुण’ नाम का यक्ष है। वह सफेद वर्ण वाला, बैल की सवारी करने वाला, जटा के
मुकुटवाला,
आठ मुख वाला, प्रत्येक मुख तीन २ नेत्रवाला और चार भुजा वाला है। बांये हाथों में ढाल और फल
को तथा दाहिने हाथों में तलवार और वरदान धारण करने वाला है ।।२०।।
२०. बहुरूपिणी देवी का स्वरूप -
पीतां विंशतिचापोच्च-स्वमिकां बहुरूपिणीम्
।
यजे
कृष्णाहिंगा खेटफलखङ्गवरोत्तराम् ।।२०।।
बीस धनुष के शरीर वाले श्री मुनिसुव्रत जिन
की शासन देवी ‘बहुरूपिणी’ (सुगंधिनी) नाम की देवी है। वह पीले वर्ण वाली, काले सांप की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में ढाल, फल, तलवार और वरदान धारण करने वाली है ।।२०।।
(२१) भकुटि यक्ष-चामुंडा (कुसुममालिनी) देवी
२१. भृकुटी यक्ष का स्वरूप -
खेटासिकोदण्डशरांकुशाब्ज-चकेष्टदानोल्लसिताष्टहस्तम्
।
चतुर्मुखं
नन्दिगमुत्पलाज्र्-भत्तंकं जपाभं भृकुटिंं यजामि ।।२१।।
लाल कमल के चिन्ह वाले श्री नमिनाथ के शासन
देव ‘भृकुटी’ नाम का यक्ष है। वह लाल वर्ण वाला, नन्दी (बैल) की सवारी करने वाला, चार मुख वाला और आठ हाथ वाला है। हाथों में ढाल, तलवार,
धनुष, बाण,
अंकुश, कमल,
चक्र और वरदान को धारण करने वाला है ।।२१।।
२१. चामुंडा (कुसुममालिनी) देवी का स्वरूप -
चामुण्डा यष्टिखेटाक्ष-सूत्रखङ्गोत्कटा
हरित् ।
मकरस्थाच्र्यते
पञ्च-दशदण्डोन्नतेशभाक् ।।२१।।
पंद्रह धनुष के प्रमाण के ऊंचे शरीर वाले
श्री नमिनाथ की शासन देवी ‘चामुण्डा’ नाम की देवी है। वह हरे वर्ण वाली, मगर की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है। हाथों में दंड, ढाल, माला और तलवार को धारण करने वाली है ।।२१।।
(२२) गोमेदयक्ष -आभ्रादेवी ( कूष्माण्डिनी ) देवी
२२. गोमेद यक्ष का स्वरूप -
श्यामस्ंित्रवक्त्रो द्रुघणं कुठारं दण्डं
फलं वङ्कावरो च विभ्रत् ।
गोमेदयक्ष:
क्षितशंखलक्ष्मा पूजां नृवाहोऽर्हंतु पुष्पयान: ।।२२।।
शंख के चिन्ह वाले श्री नेमिनाथ के शासन देव ‘गोमेद’ नाम का यक्ष है। वह कृष्ण वर्ण वाला, तीन मुख वाला,
पुष्प के आसन वाला, मनुष्य की सवारी करने वाला और छह हाथ वाला
है। हाथों में मुग्दर,
फरसा, दंड,
फल, वङ्का और वरदान को धारण करने वाला है ।।२२।।
२२. आभ्रा (कुष्माण्डिनी) देवी का स्वरूप -
सव्येकद्युपगप्रियज्र्रसुतुक्प्रीत्यै करै
बिभ्रतीं,
दिव्याभ्रस्तबकं
शुभंकरकर-श्लिष्टान्यहस्तांगुलिम् ।
सिंहे भर्तृचरे स्थितां हरितभा-माम्रद्रुमच्छायगां,
वन्दारु दशकार्मुकोच्छायजिनं देवीमिहाम्रां यजे ।।२२।।
सिंहे भर्तृचरे स्थितां हरितभा-माम्रद्रुमच्छायगां,
वन्दारु दशकार्मुकोच्छायजिनं देवीमिहाम्रां यजे ।।२२।।
दश धनुष के शरीर वाले श्री नेमिनाथ की शासन
देवी ‘आभ्रा’ (कुष्माण्डिनी) नाम की देवी है। वह हरे वणर् वाली, सिंह की सवारी करने वाली, आम की छाया में रहने वाली और दो भुजा वाली
है। बांये हाथ में प्रियंकर पुत्र की प्रीति के लिए आम की लूम को तथा दाहिने हाथ
में शुभंकर पुत्र को धारण करने वाली है ।।२२।।
(२३) धरणेन्द्रयक्ष - पद्मावती देवी
२३. धरण यक्ष का स्वरूप -
ऊर्धद्विहस्तधृतवासुकिरुद्भटाध:-सव्यान्यपाणिफणिपाशवरप्रणान्ता
।
श्री
नागराजककुदं धरणोऽभ्रनील:, कूर्मश्रितो
भजतु वासुकिमौलिरिज्याम् ।।२३।।
नागराज के चिन्ह वाले श्री पार्श्वनाथ भगवान
के शासन देव ‘धरण’ नाम का यक्ष है,
वह आकाश के जैसे नीले वर्ण वाला, कछुआ की सवारी करने वाला, मुकुट में सांप का चिन्ह वाला और चार भुजा
वाला है। ऊपर के दोनों हाथों में वासुकि (सर्प) को, नीचे के बांये हाथ में नागपाश को और दाहिने हाथ में वरदान को धारण करने वाला
है ।।२३।।
२३. पद्मावती देवी का स्वरूप -
देवी पद्मावती नाम्ना रक्तवर्णा चतुर्भुजा
।
पद्मासनांकुशं
धत्ते स्वक्षसूत्रं च पज्र्जम् ।।
अथवा षड्भुजादेवी चतुविंशति: सद्भुजा: ।
पाशासिकुन्तबालेन्दु-गदामुसलसंयुतम् ।।
भुजाषट्र्रकं समाख्यातं चतुविंशतिरुच्यते ।
शङ्खासिचक्रबालेन्दु-पद्मोत्पलशरासनम् ।।
शत्तिंकं पाशांकुशं घण्टां बाणं मुसलखेटकम् ।
त्रिशुलं परशुं कुन्तं वङ्कां मालां फलं गदाम् ।।
पत्रं च पल्लवं धत्ते वरदा धर्मवत्सला ।।
अथवा षड्भुजादेवी चतुविंशति: सद्भुजा: ।
पाशासिकुन्तबालेन्दु-गदामुसलसंयुतम् ।।
भुजाषट्र्रकं समाख्यातं चतुविंशतिरुच्यते ।
शङ्खासिचक्रबालेन्दु-पद्मोत्पलशरासनम् ।।
शत्तिंकं पाशांकुशं घण्टां बाणं मुसलखेटकम् ।
त्रिशुलं परशुं कुन्तं वङ्कां मालां फलं गदाम् ।।
पत्रं च पल्लवं धत्ते वरदा धर्मवत्सला ।।
श्री पार्श्वनाथ की शासन देवी ‘पद्मावती’ नाम की देवी है। वह लाल वर्ण वाली, कमल के आसन वाली और चार भुजाओं में अंकुश, माला,
कमल और वरदान को धारण करने वाली है।
प्रकारांतर से छह और चौबीस भुजावाली भी माना है। छह हाथों में पाश, तलवार, भाला,
बालचंद्रमा, गदा और मूसल को धारण करने वाली है। चोबीस हाथों में क्रमश:-शंख, तलवार, चक्र,
बालचन्दमा,सफेद कमल,
लाल कमल, धनुष,
शक्ति, पाश,
अंकुश, घंटा,
बाण, मूसल,
ढाल, त्रिशूल,
फरसा, भाला,
वङ्का, माला,
फल, गदा,
पान, नवीन पत्तों का गुच्छा और वरदान को धारण करती है ।।२३।।
(२४) मातंगयक्ष - सिद्धायिका देवी
२४. मातंग यक्ष का स्वरूप -
मुद्गप्रभो मूद्र्धनि धर्मंचव्रं, बिभ्रत्फल वामकरेऽथ यच्छन् ।
वरं करिस्थो
हरिकेतुभक्तो, मातङ्गयक्षोऽङ्गतु
तुष्टिमिष्टया ।।२४।।
सिंह के चिन्ह वाले श्री महावीर जिन के शासन
देव ‘मातंग’ नाम का यक्ष है। वह मूंग के जैसे हरे वर्ण वाला, हाथी की सवारी करने वाला, मस्तक पर धर्म
चक्र को धारण करने वाला है। बांये हाथ में बीजोराफल, और दाहिने हाथ में वरदान को धारण करने वाला है ।।२४।।
२४. सिद्धायिका देवी का स्वरूप -'
सिद्धायिकां सप्तकरोच्छिताङ्ग-जिनाश्रयां
पुस्तकदाहस्ताम् ।
श्रितां
सुभद्रासनमत्र यज्ञे, हेमद्युतिं
सिंहगतिं यजेहम् ।।२४।।
सात हाथ के ऊंचे शरीर वाले श्री महावीर जिन की शासन देवी ‘सिद्धायिका’ नाम की देवी है। वह सुवर्ण वर्ण वाली, भद्रासन पर बैठी हुई,
सिंह की सवारी करने वाली और दो भुजा वाली है।
बांया हाथ पुस्तक युक्त और दाहिना हाथ वरदान युक्त है ।।२४।।
No comments:
Post a Comment